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व्यथा हमारे देश की

soch jo badal jaye
soch jo badal jaye
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भ्रष्ट देश की भ्रष्ट कहानी , किसी को अपनी सोच नहीं बदलनी
सोचना नही किसी ओर के लिए, जेबें सिर्फ अपनी भरनी
कूड़ा करकट गन्दगी इसकी शान, रहते हैं सब अनजान
बंदरो ने किया जीना हराम, बिज़ली पानी से सब परेशान
भिखारियों की यहाँ टोली दिखती सदा,रात हो या हो सुबह
नौकरी मिलती रिश्वत लेकर, दिखे भ्रष्टाचार हर जगह
दिनदहाड़े किडनैपिंग होती, पर कोई यहाँ आगे न बढ़ता
जान जाये चाहे किसी की, पर किसी को कोई फर्क न पड़ता
लड़कियां हैं यहाँ इतनी सुरक्षित, दिन में भी डरकर निकलती
कहने को तो लड़कों सा हक़ दिया, लेकिन जुर्म उन पर बंद न हुआ
बाल विवाह की जड़ें हैं अब भी, दहेज़ प्रथा का अंत न हुआ
देवी मानकर पूजते जहाँ कन्या को, वहीं उसे जीने न दिया
महंगाई के राक्षस ने ऐसा कोहराम मचाया, गरीबों को जीने का डर सता रहा
दो वक़्त की रोटी भी होगी कैसे नसीब, ये सोचकर आम आदमी मरा जा रहा
विज्ञान के क्षेत्र में तो हुई तरक्की, लेकिन सोच उतनी संकरी हुई
जिस देश में महकते थे सावन, आज बरसात भी यहाँ अम्लीय हुई
शिक्षा को खूब बढ़ावा दिया गया, लेकिन शिक्षित कोई भी न हुआ
युवा यहाँ तरसते नोकरियों को, शिक्षा बस व्यापार हुआ
नियम कानून यहाँ रोज़ बनते, माना किसी को न जाता
मोती किताबों के पन्नो पर हैं सजे, यहाँ सिर्फ उल्लंघन हुआ
महान लोगो ने यहाँ जन्म लिया, देश के खातिर जान गवां दी
लड़ना उनका बेकार हुआ, आज हमने इसकी क्या हालत बना दी
रिश्तों को जहाँ पूजा जाता, आज वहीँ रिश्तों का अपमान हो रहा
अपने ही हैं अपनों के खून के प्यासे, इंसान यहाँ हैवान हो रहा
जिस देश की धरती पर , ईश्वर ने भी लिए अवतार
हैवानियत यहाँ इतनी बढ़ गयी, कैसे होगा बेड़ा पार
इतनी प्यारी संस्कृति हमारी, क्यों आया इसमें भ्रष्टाचार
हर दिन एक त्योहार होता यहाँ, फिर क्यों होता रोज़ अत्याचार
नज़रिये को अपने बदलना होगा, सोच को दो नया आयाम
सबको मिलकर बढ़ना होगा, तभी बनेगा देश महान
दौलत भले ही खूब कमाओ, पर जेब सिर्फ अपनी न भरो
उससे करो कुछ अच्छे काम, दूसरों की ज़िन्दगी भी रोशन करो
सोने की चिड़िया था हमारा देश, सोने की चिड़िया बन जायेगा
अगर कोशिश करेगा हर इंसान, दिन ये भी आ जायेगा…

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